बाबू हमरी भैंसी खो गईल
अपनी नियति पर दुखी भैंसे |
भैया कल सुना कि अभी कुछ दिन पहले बड़के मंत्री की भैंस खो गयी. बेचारे बहुत दुखी थे, वो क्या पूरा देश दुःख मना रहा था. हर चैनल, हर न्यूजपेपर में मंत्री तो छोड़िये उनकी प्यारी भैंसे भी छायी हुईं थी. अबतक समाज की नजर में नाकाबिल रही भैंसे राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का मुद्दा बन गयी. अब भाई ऐसे में आस तो जग ही जाती है न. भले ही यह ख़ास सुविधा सिर्फ बड़े मंत्रियों की भैंसों को ही दिया जा रहा हो लेकिन आम जनता की आम भैंस भी मुंगेरी लाल के सपने देखने से बाज नहीं आती.
अब देखिये न कल यूँही शाम को घूमने निकली थी कि राह में दो भैंसे गॉसिपिंग करती मिली। क्या कहा आपने, भैंस गॉसिप नहीं करती! अरे जाइये भी. गॉसिप करने का हक सिर्फ हम इंसानों को ही थोड़े न है. हां तो क्या बोल रही थी मैं. यही कि दो भैंसे गॉसिप कर रही थी. वैसे मेरी आदत है नहीं कि छुपकर किसीकी बातें सुनूं, लेकिन क्या करूं उनकी गॉसिप बहुत ही चटक और मसालेदार थी. आपको बता दूं कि आगे की कहानी खुद भैंसों की जुबानी हैं, अब गॉसिप भैंसों की है तो वे ही बताएं (इंसान दो-चार बातें एक्स्ट्रा ऐड कर देते हैं न.)
पहली भैंस- बहन, सुना तुमने उ बड़के मंत्री की भैंस खोईगे रहिन। पूरा देश मा हड़कम्प मच गे रहा.
दूसरी भैंस- अरी बहना, उ हमरे जैसी आम भैंसी नहीं रही न, ई लिए इत्ता बवाल भवा. न तो कहिके पास इत्ता टेम रहा कि एक भैंसी के ढूंढी खातिर खाकी वर्दी वाले बाबू दौड़े रहे.
पहली- अरे उ शांता भैंसी याद है का तुमका, उही जो पिछले साल आषाड़ में खोई गे रही. बिचारा कल्लू, अरे वही उका मालिक कत्ते पापड़ बेले रहा रपट लिखाए खातिर।
दूसरी- तो मिली का शांता?
पहली- अरे बहिनी, मिलती तो तबै न जब रपट लिख गयी होती। खाकी वर्दी वाले बाबू कहिन के भैंसी के खोए की रिपोर्ट नहीं दर्ज होवत है, बकलोल हो का जो रिपोर्ट लिखावे खातिर हिंया आ गये.
दूसरी- लेकिन यो मंत्री की भैंस का माजरा का रहा? उ का गोरी-चिट्टी भैंस रही जो सब दौड़ पड़े.
पहली- न रे, उ वीआईपी भैंस रही न. मंत्री डॉटिन रहे सबका। पूरा देश सोक मनावा रहा, अरे का चपरासी का अफसर .... सब भागे रहे, अइसा लाग रहा जइसन कोई प्रतियोगिता रहा.
दूसरी- अच्छा, फिर का भवा?
पहली- का होई चाही, खाकी वर्दी वाले बाबू सात भैसन का ढूंढ के लई आए. हाँ सुने हैं के द्वि अबे नहीं न मिली। अरे हम तो यो भी सुने हैं के कुछ खाकी वर्दी वाले बाबू को नाकरी से छुट्टी देई दिया है कुछ दिनों के लिए. अरे उ जो नया वाला माध्यम है न, काहे से आजकल लोग चटर -पटर करत हैं. अरे का कहित हैं- हां, उ सोसल नेटवरक .... उमे बी लोग यही कि बात कर रहे.
दूसरी- और एक उ बिचारी शांता रही, पता चले रहा कि कुछ दिन बाद बूचड़ खाने में मार दी गई रही.
पहली- को बतावा ई बात!
दूसरी- अरे उ चंदू रहा न, बच आवा रहा उ बूचड़ खाना से. बताए रा रहे के शांता न भाग पाई, पाँव में चोट लगी रहे उके.
पहली- हाँ बहिनी, अब उ रही आम भैंसी। काहे के लिए कोई अपन टेम खराब करी. भगवान करे, अगले जन्म उ बी मंत्री के घरै मा पैदा हो.
भाई कहने का मतलब साफ़ है कि शांता जैसी आम भैंसों के लिए कहां कोई चिंता करता है, लेकिन भैंसे भी आम, वीआईपी, वीवीआईपी की कटेगरी में बंटी होती हैं ये आज ही समझ आया. इनके शब्दों में कहूं तो- अगले जन्म मोहे वीआईपी भैंस कीजो।
न मुई भैंस होती, न साहब के रुतबे का अंदाजा मिल पाता.
@Deepak Raj Verma : hahaha.. ye bhi sahi h
sab narendra modi se milne gayi thi
@manish pandey: hahaha.. ye bhi ho skta h sir