इश्क के इश्क से इश्क होना....




कभी अलग हुए तो ?
पता नहीं
रह लोगी मेरे बिना ?
पता नहीं

बस हम जैसे लोगों के साथ यही तो परेशानी है किसी भी सवाल का जवाब पता नहीं. असल में उस सवाल का जवाब होता है 'नहीं' और एक कौमा के बाद वाली लाइन है- सिर्फ तुमसे ही नहीं तुमसे जुड़े हर शख्स, हर चीज जिससे मैं इश्क करने लगी हूं, उनसे दूर जाने के ख़याल से भी डर लगता है. लेकिन माने कौन. देखो मुझे तो नहीं मानना, आखिर मेरी इमेज का सवाल है. असल में फायदा उठाने वाली या फर्क न पड़ने वाली इमेज से डर नहीं लगता, डर लगता है आइने से.... जहां हम खुद की हकीकत से रूबरू होते हैं.
     तो ऐसे में इन सभी खास लोगों से मुझे इश्क हो गया जिनसे तुम्हें इश्क है (हां, तुम्हारे पहले या शायद आखिरी प्यार से नहीं- थोड़ी तो इंसान या यूं कहें लड़कियों वाली लिबरटी बनती है न) अब भले ही उन्हें मुझसे इश्क हुआ हो या नहीं. हम जैसी लड़कियों के साथ थोड़ी परेशानी है, बचपन से हमेशा लड़कों के साथ रहने की वजह से आसान होता है  लड़कों के साथ जैल-अप हो जाना. खासियत या खराबी, हम ऐसे ही होते हैं. यही हूं मैं भी..... लेकिन इस बार जैल-अप नहीं हुई इस बार जुड़ गई. अब कहो अंतर क्या, अंतर है- जैल-अप होकर इश्क नहीं होता लेकिन मुझे तो इश्क हो गया.
     जुड़ने का वक्त और हालात याद नहीं- शायद जब पहली बार तुमसे नाराज़ हुई, तुम्हारे दोस्त की वजह से..... शायद जब मैंने पहली बार उनसे बात की... शायद जब पहली बार मैं उनसे मिली... शायद जब उन्होंने मेरा मजाक उड़ाया... शायद जब उन्होंने मेरी तारीफ़ की.....  शायद जब उन्होंने मुझसे अपनी जिंदगी का एक हिस्सा बांटा या शायद पता नहीं.... बस इश्क हो गया. जिस तरह तुमसे इश्क होने का दिन और जगह याद नहीं, उनसे इश्क वाला दिन भी याद नहीं. जिस तरह तुमसे कुछ नहीं कहती उनसे भी नहीं, कहने का कोई मतलब भी नहीं.
हम बस लड़ने वाले किस्से चीख-चीख कर बांटते हैं, इश्क के लफ़्ज़ों को जुबान तक आने में परेशानी होती हैं.
     तो उन लोगों के लिए जिनसे मुझे इश्क हो गया है- कहने की बात नहीं है कि किसी को पसंद करने के लिए हमेशा साथ रहें, एक पल काफी है दिल लगाने के लिए. दिल लग चुका है मेरा कुछ खास लोगों से जो हमेशा याद रहेंगे और हमेशा पास रहेंगे. कोई एक भी दूर गया तो पास आने की गारंटी नहीं, खडूस मोड बेहतर होगा मेरे लिए लेकिन इश्क तब भी करूंगी बिना बताए. रात को 24.7 पर बिताई रात याद हैं मुझे, कुछ बिना बताए ली गई तस्वीरें भी... रात-रात भर मेरी बेसिरपैर की बातें सुनने वाली रात को इनसे अलग नहीं कर सकती. मेरे इश्क को परवान चढाने का शुक्रिया हमेशा रहेगा.
     खैर, मेरा पहला प्यार... दुःख है कि बहुत बाद में मिली लेकिन खुशी है कि मुलाकात हुई. बिना जाने-पहचाने घर ले जाने वाले बहुत कम देखें हैं- शुक्रिया, अपनों से जोड़ने के लिए..... मेरी छोटी-छोटी बातों को समझना आसान नहीं लेकिन इस परीक्षा में सफल हुए. बहुत कुछ है जिसे शब्दों में उकेरना चाहती हूं, जी करता है प्यार उड़ेल दूं (इन अंग्रेजी- लव इन द एयर टाइप) लेकिन कुछ बातें खामोशियां मांगती हैं.... एक अंजान में दोस्त मिल जाना खुशकिस्मती है और इस मामले में किस्मत लेकर पैदा हुई थी शायद.
    सड़क, रात, रेत, समंदर- सबके लिए तो नाम हैं, या फिर किसी न किसी ख्याल से जुड़े कुछ नाम..... मेरे लिए इश्क हैं ये.... वो इश्क जिसमें मेरी जिंदगी के हसीन लम्हें बसे हैं और मेरे इश्क का इश्क छुपा है इसमें. इन्हीं ने तो इश्क सिखाया है मुझे... न जाने इस इश्क ने कितनों को मेरा अपना बनाया है, गिनती नहीं है करना भी नहीं चाहती... बस जीना चाहती हूं इस इश्क के सहारे.
     जिंदगी बॉलीवुड फिल्म नहीं, तो हकीकत में शामिल होना मजबूरी है लेकिन हम मजबूरी नहीं. शामिल रहो जबतक इजाज़त हो, हो सकता है हमारी जिंदगी भी शाहरुख की किसी घिसी-पिटी रोमैंटिक मूवी की तरह हैपनिंग हो.... फिलहाल इतना ही.

क्या करें,
अब हमें तो इश्क के इश्क से इश्क हो गया.... :) 

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