नए सफ़र का आगाज़...


कितना अजीब सा लगता है जब किसी नयी अनजानी राह में अकेले चलने का फरमान जारी कर दिया जाता है. पहला कदम बढाने से पहले मन में कई सवाल अपनी जगह बना लेते हैं. अनजानी जगह, अनजाने लोग फिर भी जिंदगी तो चलती रहती है वो भी बिना किसी ब्रेक के. ऐसे में बहक जाने और खो जाने का डर दिल में इस कदर बैठा होता है कि उस जगह, उस माहौल की अच्छाई को अपनाने में थोड़ा वक्त लग जाता है. बस एक जरूरत सी महसूस होती है एक अदद साथ की और एक ऐसे दोस्त की जो उस अनजानी राह में हाथ थामकर चल सके.
घर से बाहर कदम रखते ही एक नई दुनिया नज़र आती है जिसमें खुद को सम्भालना बहुत मुश्किल लगता है. बचपन में सुनी हौसलों के उड़ान की कहानी का असल मतलब समझ आने लगता है. दुखी होते हुए भी मुस्कुराने का हुनर इस कदर सामने निकल आता है कि खुद पर हैरानी होती है. बेशक जिंदगी में तरक्की बहुत जरूरी है लेकिन इसकी कीमत कभी-कभी इतनी बड़ी मालुम पडती है कि इस सफ़र में अकेले हो जाने का डर मन से बाहर नहीं निकल पाटा, हौसलों की उड़ान में जब अपने पीछे छुटने लगते हैं उस वक्त उन रिश्तों की कदर समझ आती है जिन्हें कभी न कभी हमने नज़रंदाज़ किया था. माँ का खाने के लिए पीछे पड़ना, पापा का डाटना या भाई का समझाना, एक वक्त मन में झल्लाहट पैदा करने वाली ये बातें अचानक प्यारी लगने लगती है और हम इंतज़ार में बैठे रहते हैं कि कब ये पल हमारी जिंदगी में दोबारा वापस आएँगे.

कभी यूंही अकेले में बैठे हुए आंसू आँखों को भिगोने लगते हैं तो कभी हल्की सी मुस्कान होंठों पर तैर जाती है फिर किसी कमी का एहसास कम होने का नाम नहीं लेता. बीता हुआ लम्हा याद आने लगता है. कुछ वक्त बाद यही सफ़र इतना अपना सा लगने लगता है जिसे छोडकर कहीं और जाना बस मुश्किल जान पड़ता है लेकिन जिंदगी का एक नियम हैं वो कभी भी किसी को एक मोड पर टिकने नहीं देती. जिस मोड में अपना ठिकाना नज़र आये अगले ही पल वहां से जिंदगी ठिकाना बदल देती है. न तो मौक़ा देती ई न ही कोई रहम दिखाती है बस हर दिन एक नया चैप्टर खोलकर आँखों के सामने रख देती है. चैप्टर पसंद आये ना आये इम्तिहान तो देना ही पड़ता है वो भी बिना किसी चीटिंग के. न तो ये किसी चीटिंग को बर्दाश्त करती है और न ही किसी से कोई अलग व्यवहार करती है.
जिंदगी तो बस एक नए सफ़र में नाम लिख देती है और उम्मीद करती है कि हम भी बिना किसी चीटिंग के उस सफ़र को पूरा करें. अब फैसला तो अपने ही हाथ में है कि इस सफ़र को पूरा करके हम एक बहते झरने की तरह शुद्ध और निर्मल बनना चाहते हैं या एक तालाब के पानी की तरह रुके हुए अपने अस्तित्व के लिए किसी कमल के खिलने का इंतज़ार करते हैं.

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One Response so far.

  1. Unknown says:

    nice thoughts .. go ahead with new journey :)

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