नाकाम सी ये कोशिश
शिकायतों का दौर तो यूंही चलता रहेगा...
कभी रुसवाई तो कभी मौहब्बत का मंजर होगा...
चाहे जितना रूठो हमसे, मना ही लेंगे तुम्हें...
बस हमें मनाने क हौसला कभी तुम भी रखना...
माना तकरार होती है तुमसे हमारी..
पलकों के साए में बी तो तस्वीर है तुम्हारी..
रूठने की हर कोशिश नाकाम है हो जाती..
जब एक बार होठों पर मुस्कान दिखती है तुम्हारी...
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