दारु पीकर गिरती वो लड़की...

दरवाजा खोलकर अंदर जाते ही सीढियों पर बैठी वो लड़की ।

लड़की- तुम नई हो यहां?
जवाब- हां! क्यों?
लड़की- कभी देखा नहीं तुम्हें यहां पहले ।
जवाब- अभी कुछ दिन पहले ही आई हूं
लड़की- दारू पी है कभी?
जवाब- नहीं
लड़की- अच्छा किया । बहुत खर्च होता है इसमें... पैसे नहीं बच पाते ।


अब कोई पहली बार मिले, वो भी सीढ़ियों पर और इस तरह से बातें करने लगे तो अजीब सा लगता ही है । हालांकि ये उसके और मेरे बीच हुई पहली बात थी। वैसे कभी हॉस्टल या पीजी (पेइंग गेस्ट) में रहे हैं आप ? कितना अलग सा माहौल होता है ना ! नए लोग, नई जगह, अजीब से लोग । और हां, यहां लड़कों की नहीं, लड़कियों की बात हो रही है । असल में लड़कों का मसला बहुत कॉमन है, दोस्तों के साथ रहना, सिगरेट पीना, दारू पीकर कहना- 'भाई देख लड़की क्या माल है', या ऑफिस के बाहर सिगरेट के धुंए के छल्ले उड़ाना. अब ये न कहिएगा कि मैं महिलावादी हूं. खैर, कहें भी तो फर्क नहीं पड़ता. महिला भी हूं और महिलावादी भी. लेकिन हां डिसक्लेमर- पुरुषों की विरोधी नहीं हूं. बस स्टिरियोटाइप मानसिकता और हमारे अपने संस्कारी विचारों से थोड़ा सा कोफ़्त है. अब मैं अपनी दोस्त के खड़े होकर बोलूं, 'देख यार वो लड़का क्या माल है' तो थोड़ा अजीब है न । अब मैं ये साफ़ कर दूं कि यहां मेरा समाज के नियमों और क्या गलत-क्या सही पर भाषण देने का कोई विचार नहीं है.

तो एक पीजी में रहते हुए दो साल हो गए हैं. तरह-तरह की बातें सुनी, तरह-तरह के लोग देखे. संस्कारी लड़के-संस्कारी लड़कियां (अरे मुस्कुराइए मत, वाकई देखा है.. अब आपके संस्कारों की परिभाषा क्या है पता नहीं, मेरी परिभाषा में फिट होते हैं) भी । तो सुन्दर लड़कियों से भरे एक पीजी में रहती हूं. यार वाकई हर बात पर मुस्कुराने की अजीब आदत है आपकी. अब सुन्दर लड़कियों की तारीफ़ सिर्फ आप कर सकते हैं क्या, लोकतांत्रिक देश है.. मेरा भी अधिकार है तारीफ करने का. जब पहली बार अंजान लड़कियों के बीच आई डर सा लगा, आपको क्या लगता है सिर्फ लड़के डराते हैं! तब तो बकलोल हैं आप. भाईसाहब लड़कियों के गुट में एक दिन रहिेए, पता चल जाएगा कितने पानी में हैं आप ।

अब इस दारू वाली खूबसूरत लड़की का नाम नहीं पता। बस आते-जाते खोज खबर ले लेते थे एक-दूसरे की । वैसे हमारे बीच बातों का सिरा ही उसकी दारू थी । लगता था मानों उसे किसी की जरूरत ही नहीं । अकेले बैठकर हंसा करती थी वो ।  उसे रोज यूंही ऑफिस जाते मुस्कुराते, दारू पीते और गिर जाते देखा । कभी भी कुछ अजीब नहीं था लेकिन कैट फाइट के समय हम खुद अपनी सीमाएं तोड़ देते हैं । इन सबसे अलग उसकी अपनी सीमाएं थी, अपनी आजादी और अपने ही बंधन । उसे देखकर आप सीख सकते हैं कि महिलावादी होने का ढकोसला न करना कितना बड़ा और कितना जरूरी है । उस सभी के लिए जिनसे आप जुड़े हैं या उनके लिए जिनके बारे में आप बात करते हैं । 

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