एक कहानी बीईईईईप वाली....



-----  ओ भाई... समझ जा, मां-बहन पर ना जइयो

वक्त थोड़ा रिवाइंड...

------ तेरी तो म..बीईईईईप... , तेरी तो ब...बीईईईईप.... साले समझता क्या है अपने को, कायदे से रह वरना .......बीईईईईप....

माफ कीजिएगा विवादास्पद चीजें थी तो 'बीईईईईप' करनी पड़ी | अब कहीं किसी ने मानहानि का केस कर दिया तो, इतनी तो तनख्वाह भी न है के वकील कर पाऊं (वैसे ये सीक्रेट है कि अपने भी कुछ दोस्त वकील हैं... ) हां जी, तो क्या बोल रही थी मैं | क्या..!!!!!!!!! झूठ बोला मैंने ? ना जी ना, झूठ नहीं बोला मैंने | अरे सच में भाई, ..बीईईईईप... की ही कहानी है | अब सोचिए सबसे ज्यादा ..बीईईईईप... हम कहां इस्तेमाल करते हैं | जब गालियां देते हैं और कब | लो जी, अब पहचाना न आपने | आपकी भी न दिमाग कि बत्ती जरा देर में जलती है | खैर कोई ना |

तो जी, अभी करेंगे हम गंदी बात | अरे अब इतनी भी गंदी नहीं करेंगे कि आप कान-आंख बंद करके बैठ जाएं | बस उतनी जितनी आपको पसंद है | 

कुछ भी हो जाए | कुछ भी मतलब कुछ भी- प्यार हो, दिल टूटे, चौकस लड़की दिखे, दोस्त मसखरी में बदसूरत सी लड़की दिखा दे, लड़का छोड़ कर भाग जाए, बात पसंद न आए, होटल में खाना अच्छा न मिले तो ..बीईईईईप... हो जाती है | अरे, कभी-कभी जिगरी यार का फोन आ जाए तब भी तो ..बीईईईईप... के साथ ही फोन उठता है | राजनीति में तो ..बीईईईईप... खासा प्रचलित है ही | अभी कुछ दिन पहले ही पप्पू यादव ने लालू-नितीश को ..बीईईईईप... से भरे वाक्य से नवाजा, खैर सही या गलत के पचड़े में नहीं पडूंगी लेकिन भाईसाब.... सारे चैनल खेले हैं इस ..बीईईईईप... के साथ | जनता को इससे अवगत भी कराया बकायदा बाईट भी सुनाई गई with ..बीईईईईप... अब किसी और को लगा या नहीं लगा मुझे जरूर लगा | अरे भाई, जब सुना नहीं सकते तो क्यों सुनाना है.. 'सुने क्या विवादास्पद कहा' और बाद में कहिए- 'हम आपको सुना भी नहीं सकते' खैर ऐसा मुझे लगा और ये भी हो सकता है कि इस मामले में मैं गलत हूं |

गालियों के मामले में अपना हाथ जरा तंग है | कुछ गालियां तो सीख ली हैं लेकिन अब भी कुछ और क्लास लेना बाकी है | वक्त से साथ आसपास ..बीईईईईप... वार्तालाप पर ध्यान ना देना और गाली ना देने के बारे में फ्री का ज्ञान देना भी बंद कर दिया है | वैसे हमारे एक परम मित्र का कहना है कि गाली देने से फ्रस्टेशन खत्म होती है | हालांकि, उन्हें लड़कियों के मुंह से गालियां सुनना पसंद नहीं और हमारी अक्सर इस बात पर बहस हो जाती है कि लड़कियों को भी फ्रस्टेशन होता है भाई | उन्हें यकीन ही नहीं होता, अब मोटा हो जाना, अच्छा boyfriend न मिलना, मिल भी जाए तो पति न मिलना, बहुत सी टेंशन है जिंदगी में (नौकरी को लोग लड़कियों की टेंशन मानते नहीं इसलिए बताना जरूरी नहीं समझा ) वैसे हमारी ये लड़ाई अंत में किसी भी नतीजे के बिना खत्म हो जाती है |

ये फ्रस्टेशन वाला आइडा वैसे बहुत पुराना है | बहुत से लोगों के मुंह से सुना है मैंने लेकिन इसमें भी कंडीशन- समाज को पसंद नहीं के लड़कियां गाली दें.. कुछ को हिंदी गालियां पसंद नहीं तो किसी को अंग्रेजी.. अंग्रेजी!!! ना ना अंग्रेजी नहीं, समझ ना आए वो अलग बात है, गलत नहीं लगती | अब खुद ही देखिए ना 'अंग्रेजी गालियों में उतने ..बीईईईईप... की जरूरत नहीं पड़ती जितना हिंदी गालियों में | हमें अंग्रेजी गालियों से वैसे ही अलग स्टैंडर्ड का एहसास होना है जैसा कि अगर किसी भारतीय की फिरंगी गर्लफ्रेंड या ब्वायफ्रेंड हो | सोसाइटी में अलग ही भोकाल टाइट होता है बंदे/बंदी का |

खैर, हम इतने भी शरीफ नहीं कि किसी को शराफत का पाठ पढ़ाएं | वैसे गालियों के मामले में एक शख्स है जिसका बोलना बुरा नहीं लगा वजह क्योंकि वो गालियों के मामले में किसी में भी भेदभाव नहीं करता;उसने अपने और दूसरों के लिए बड़े साफ़ मापदंड बना रखे हैं | कोई भी खुलकर गाली दे सकता है ... ना लिंगभेद... न रंगभेद... ना जाति का भेद | अब लो भाई, मैंने कब बोला गालियां बंद कर दो, बस इतना बोल रही हूं कि भाई गालियों में तो आरक्षण देना बंद करो | हिंदी है तो ..बीईईईईप...दो, अंग्रेजी हो तो टीप दो| ऐसे ना चलेगा, गालियों ने आकर वोट थोड़े न देना है | 

मेरी बड़ी इच्छा है कि वर्तनी और व्याकरण ज्ञान की तरह एक किताब होनी चाहिए- 'जाने क्या है इस ..बीईईईईप... का मतलब' 'कहां से हुई उत्पत्ति' 'कैसे प्रयोग करें' और 'किस-किस समस्या का होगा समाधान'..

मुझे लगता है कि मेरे जैसे लोगों के लिए एक ऐसी किताब होना बहुत जरूरी है | क्या पूछा आपने ! किताब क्यों? देखा आप नहीं समझेंगे मेरा दर्द, मैं समझाती हूं ना | जब DKBOSE जैसी फ़िल्में आती हैं तो हम जैसे लोगों को कितनी मेहनत करनी पड़ती है समझने के लिए कि आखिर लोग हाथों में तख्ती लिए नारे क्यों लगा रहे हैं  | और पता भी चलता है तो कब, फिल्म रिलीज के सालों बाद | बहुत तकलीफ होती है भाई |

आखिर फ्रस्टेशन दूर करने या कदम-कदम पर प्यार जताने के लिए हम भी तो ..बीईईईईप...का इस्तमाल कर सकते हैं | तो मेरी सरकार से मांग है कि NCERT की किताबों में ..बीईईईईप.. को भी सिलेबस के रूप में शामिल किया जाए और इसकी एक्स्ट्रा क्लास होनी होनी चाहिए | समाज के लोगों से भी मेरा निवेदन है कि इसे खुले दिल से स्वीकार करें, मन में ..बीईईईईप.. बोलने की जगह इसके समर्थन में एक अभियान चलाएं और बिना डर फ्रस्ट्रेशन दूर करने के नए युग की तरफ अग्रसर हों... 


(भावना तिवारी- it’s all about feelings)


Disclaimer: ये पूरी तरह से मेरे दिमाग की उपज है कृपया इसे पत्रकारिता से जोड़कर ये न कहें कि आप पत्रकार तो होते ही ऐसे हैं | 'पत्रकार बड़ी चीजों पर लिखते हैं और मैं पूर्णतः पत्रकार नहीं हूं..' ये मेरा निजी मत है तो इनबॉकस में सुधार के सुझाव अवश्य दें लेकिन पत्रकारिता को ..बीईईईईप... न दें और कृपया ..बीईईईईप... का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर न करें

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