Yes, I am a SLUT.. आपको कोई परेशानी!
हां जी, तो क्या कहा आपने.. I am a slut! Yes, I am. आपको कोई परेशानी?
इसे पढ़ना या स्वीकार करना थोड़ा अजीब लग रहा है न! दरअसल, बहुत दिनों बाद अपने लिए ऐसे शब्द का इस्तमाल होते हुए सुना. अब आपको लग रहा होगा कि मुझे बुरा लगा होगा. हां, आपको सही लग रहा है. लगा था बुरा लेकिन शायद अब ये शब्द झकझोरता नहीं क्योंकि ऐसे प्रयोग मेरे लिए कुछ नए नहीं हैं. अक्सर राह से गुजरते हुए लोग इस शब्द का इस्तमाल धड़ल्ले से करते ही रहते हैं. ना.. हमेशा मेरे लिए नहीं, कभी-कभी सामने से गुजर रही किसी और लड़की को भी इस 'खूबसूरत' शब्द से नवाज़ा जाता है.
हां, तो क्या बात कर रही थी आपसे.. कि आज ऑफिस से लौटते समय खुद को शाहरुख खान या अपना मनपसंद हीरो समझने वाले एक-दो 'dude' और 'handsome' लड़कों ने तारीफ़ करते हुए कहा- 'यार, देख न होंठ कितने रसीले हैं'.. हां-हां ठीक है, शरमाना चाहिए था मुझे या फिर शरमाना नहीं भी आया तो इस बात को ऐसे बताने की क्या जरूरत थी. तो मुझे लगता है, जरूरत है. ऐसा नहीं है कि पहली बार किसी ने होंठों की तारीफ़ की लेकिन वास्तव में उन लड़कों का अंदाज़ तारीफ़ कम गाली समान ज्यादा था. शायद उनमें से ही किसी एक ने ही कहा था कि बिस्तर पर और ज्यादा खूबसूरत लगेंगे, What if she is a slut.. नहीं पता उसका मतलब क्या था लेकिन मुझे एक ही जवाब सूझा- Yes, I am a SLUT.. आपको कोई परेशानी! मेरे इस जवाब पर भी जो जवाब मिला वो बेहद लाजवाब था- 'कितनी बेशरम लड़की है यार.. छोड़ इसे'
वाह जी, ये भी बेहद खूब रही. हमें ही slut बोलो और शरम, हया की बातें करो. अमा यार, गजब बात करते हो तुम भी. खैर बात आई-गयी हो गयी लेकिन टूटन तो महसूस होती ही है. सोचा आजकल फोन की सुविधा बड़ी सही है. अब फोनवा मिलाकर मन का बोझ हल्का हो ही जाएगा. तो भाई लामी सी लिस्ट से कुछ नाम चुने, दोबारा सोचा- कुछ के बारे में लगा, नहीं ये नहीं समझेंगे.. कुछ के बारे में, बीजी होंगे यार.. एक का फोन उठा तो राम कहानी सुनाने के बाद जवाब मिला- 'छोड़ न यार, होता रहता है.. तू भी न, भूल जा', और कुछ का फोन ही नहीं उठा. खैर, मन का बोझ कम करने का तरीका तो हम ढूंढ ही लेते है.. वैसे तो ईजा (मम्मी) से हर बात बांट ही लेती हूं, लेकिन ये थोड़ा सीरियस है. हैं न..
फर्क नहीं पड़ता
मजाक में तो ये सब अच्छा लगता है. बोल दिया, 'फर्क नहीं पड़ता लेकिन क्या वाकई'. कभी-कभी अपना ही दोस्त ऐसी टिप्पणी कर देता है कि समझना मुश्किल होता है. शायद, कुछ वक्त पहले इस बात का दो टूक जवाब न दे पाती लेकिन इसी दिल्ली की उन तंग गलियों में मिली 'सिमी' ने कुछ तो बदल दिया. वही तो थी जिसने समझाया था कि वो भी इंसान है. उसके भी भाई-बहन हैं, जिन्हें पता ही नहीं दीदी करती क्या है. बस, उनके लिए तो वो माँ-पापा है जो उनसे बहुत प्यार करती है. खुद भी तो हिस्ट्री कि स्टूडेंट थी वो. उसने अगर खुद न बताया होता तो मैं भी कहां जान पाती कि उस लड़की की खूबसूरती में कौन सी बात छुपी है. न जाने आज कहां है वो, ढूंढा तो घर खाली पड़ा था उसका, फोन भी तो नहीं चालू है उसका पुराना वाला. याद आती है वो.. यहां आकर सबसे पहला काम उसे ढूँढने का ही था लेकिन मैं नाकाम रही.
अच्छा लड़का मिलेगा
एक वो भी तो थी जिसकी शादी सिर्फ इस बात को मुद्दा बनाकर तोड़ दी गयी कि वो लड़कों से बातें करती है. इसमें कुछ बुरा नहीं और लड़के की मानें तो वो लड़की बहुत अच्छी थी और वह उस सुशील, संस्कारी के लायक नहीं. कमाल है न कुछ बोला भी नहीं और बोल भी दिया. रातभर तो रोती रही थी अपने कुछ खास दोस्तों के सामने. वक्त आगे बढ़ा, एक बार फिर कुछ ऐसा ही हुआ. शायद इस बार उसे यकीन हो चला है कि वो इतनी कीमती है कि कोई शायद उसके काबिल ही नहीं. हां, उसे छोड़कर जाने वालों को जरूर यकीन है कि उसकी जिंदगी में कोई 'अच्छा लड़का' आएगा. न जाने कौन से मोड़ पर मिलेगा वो लड़का, अब तो उसे उम्मीद भी नहीं.. हां, पहली बार हाथ छूटा था तो कहीं न कहीं विश्वास था. लेकिन अब शायद वो इस एहसास के लिए तैयार नहीं. उसका भी तो सवाल ठीक ही है, - कहते हो अच्छा लड़का मिलेगा, फिर तुम क्यों नहीं?
दिल्ली- मेट्रो शहर.. खुले विचार.. क्या वाकई!
खैर, बात हो रही है slut होने की तो सबकी अपनी सोच. फिर भी कभी-कभी एक सवाल आता है मन में आखिर समाज किस लड़की को बिना शर्त अपनाता है. पुरुषों को तो छोड़ ही दीजिए खुद महिलाएं भी टिप्पणी करने से बाज नहीं आती. कहा जाता है कि दिल्ली बड़ा मॉडर्न शहर है. इतनी बार मेट्रो से सफर किया है लेकिन वहां भी लोगों की नजरें कुछ अलग नहीं. जनरल कोच तो छोडिये, महिलाओं के स्पेशल कोच में भी गिद्ध जैसी नजरें दिख ही जाती हैं. मिनी स्कर्ट में लिपटी लड़की को बगल में खड़ी दूसरी खूबसूरत लड़की या सामने सीट पर बैठी वो चश्मे वाली आंटी इस नजर से देखती हैं जैसे अभी-अभी किसी के साथ सोकर आई हो. क्या वाकई हम खुद अपनी इज्जत करते हैं.! ये बहुत बड़ा सवाल है, दूसरों से क्या उम्मीद करना.
तुम बहुत अच्छी हो, बस मैं ही नहीं
'यार, तुम बहुत कूल हो.. अच्छी हो, बाकी लड़कियों सी नहीं..'
'प्लीज यार, जानता हूं कि तुम बहुत अच्छी हो लेकिन समझो मैं नहीं'
ये वाक्य शायद कूल और अच्छी लड़कियों के लिए बड़े परेशानी वाले या यूं कहें कि उन्हें कन्फ्यूज करने वाले होते हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं. सीधे तौर पर कुछ न बोल सामने वाला बहुत कुछ बोल जाता है.. और इसे चाहे कुछ भी समझें लेकिन सच यही है कि उससे जुडी कोई लड़की भी इस बात को नहीं समझती. दो ही रास्ते हैं या अच्छे होने की खुशी मना लो या फिर इस अच्छाई की एक बड़ी कीमत चुका दो. मामला वहीं खत्म..
खुद क्या महसूस करने लगी
इतने सालों से अपने लिए 'अच्छी लड़की' वाला शब्द सुन रही हूं लेकिन समझ नहीं आया कि इस बारे में मैं खुद क्या महसूस करने लगी हूं अब. बेशक, खुद के बारे में बारे में कुछ भी गलत मुझे बर्दाश्त नहीं लेकिन कभी-कभी परख करने के लिए गलत बातें भी सुन ही लेती हूं. ये जिंदगी का ही तो तजुर्बा है.. आखिर तजुर्बा तो वो भी था जब पहली बार 12 साल की उम्र में उस रिश्ते वाले भाई ने 'अजीब तरह से छुआ था'.. अब अपनी बहनों को दुनिया से बचा रहा है. कमाल तो ये है कि उसका भी मानना है कि लड़कों से बतियाने वाली या देर रात घूमने वाली लड़की (भले ही अकेले क्यों न घूमे) slut ही है. सच बताऊं, भाई की इस अकलमंदी वाली बात बात पर जी चाहता है कि उसे गले लगा लूं.
हां तो, finally i accept I AM A SLUT
जिंदगी के छोटे-छोटे तजुर्बों के बाद कहना चाहती हूं.. Yes, I am a Slut.. आप जानते हैं क्यों!! क्योंकि मैं आपकी तरह नहीं. रिश्तों को किसी तराजू में नहीं तोलती. मेरे लिए किसी के साथ हमबिस्तर होने वाली लड़की कैरेक्टरलेस नहीं क्योंकि आप भी तो उसमें शामिल थे. आप अपने नजरिये से ही मेरी हर बात, हर जज्बात को तोलते हैं कभी मेरी नजर से तो आपने मुझे जाना ही नहीं. हां, कीमत लेती हूं हर चीज़ की लेकिन जब तुम छोड़कर जाते हो तब भी कीमत मैं ही चुकाती हूं- अपने जज्बातों की, विश्वास की.. एहसास तो वही है न, एक रात वाला.. तो उसमें और मुझमें फर्क ही नहीं न.
तुम तो अब भी कहोगे न- 'तुम बहुत अच्छी हो' वहीँ, वो कहेगा- 'hey, i think she is a slut'..
और मैं- Yes, I am... आपको कोई परेशानी!
(भावना- its all about feelings)