ये ना किसी साहित्यकार की कहानी है ना ही किसी कथाकार की कथा, ये कहानी है आज की युवा पीढ़ी की जो अपने भविष्य , सपनों और परिवार के ... [...]
"ज़िन्दगी एक कश्मकश है यारों.... ना समझे ना समझाये किसीको ये यारों .... ठोकर मार के हसती है यारों ... कहती है संभल पाओ तो सम्भलना यारो... [...]
"मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया... हर फिक्र को धुएं में उडाता चला गया... बरबादियों का शोक मनाना फ़िज़ूल था... बरबादियों का ... [...]
ये वाला.. या ये वाला... "गोरे- गोरे मुखड़े पे काला-काला चश्मा तौबा खुदा खैर करे,खूब है करिश्मा खूब है करिश्मा...... गोरे गोरे मुख... [...]
"भैया अलिगंज चलोगे?" "हाँ! पर दस रुपये लगेंगे, बाद में न बोलियेगा के बताया नही" "अरे आप चलिए, देर हो... [...]