मौसमी परिवर्तन, मैं और मेरा ब्लॉग
मौसम के बदलने की प्रक्रिया पूरी तरह से हमारे जीवनचर्या की तरह है। जिस तरह अलग-अलग समय पर हमारा दैनिक कार्यक्रम बदलता है, उसी तरह मौसम के तमाम रंग हमें कुछ संदेश छोड़ जाते हैं और हमारे लिए नई तरह की चीजों को उत्पन्न् कर जाते हैं। मौसम की बदलती रंगत अपने साथ कई संदेश छोड़ती जाती है। मौसम के हिसाब से ही हमें प्रकृति के नजारों का आनंद मिलता है। ऐसे नजारे जिनमें छिपे हैं अनगिनत रंग। रंगों में छिपे संदेश। इन्हीं रंगों में हम लोग खुद को व्यक्तिगत रूप से भी जोड़ते हैं, मसलन रंग तरक्की के, रंग उत्साह के, रंग कुछ पाने के और रंग बदलते समय के। बदलते समय की बात हम करते हैं तो हम बनाते हैं कुछ योजनाएं, हमारी तैयारी होती है बुलंदियों को छूने की। विकास के कुछ ऐसे मानक स्थापित करने की जो औरों के लिए तो उदाहरण बन ही जाएं, हमें भी आत्मसंतोष मिले। विकास की डगर पर भी अनेक रंग होते हैं। उसी तरह जिस तरह प्रकृति अपने रंगों को बदलती है।
आशा-निराशा के समय चक्र से हमें चुनने होते हैं सकारात्मक मार्ग और उचित सोच। निश्चित रूप से तरक्की के सोपानों पर चढ़ते वक्त हमें जरूरत होती है मजबूत इरादों की। कोई मौसम बहुत कठोर होता है तो कोई बहुत नाजुक। किसी मौसम में हमें खुद पर जरूरत से ज्यादा ध्यान देना होता है तो कुछ मौसम में यह भी होता है कि हम उसी रौ में बहे जाते हैं और हमें सबकुछ अच्छा-अच्छा लगता है। असल में प्रकृति का ही यह संदेश होता है कि हमें किसी भी चीज की अति नहीं करनी चाहिए।
आशा-निराशा के समय चक्र से हमें चुनने होते हैं सकारात्मक मार्ग और उचित सोच। निश्चित रूप से तरक्की के सोपानों पर चढ़ते वक्त हमें जरूरत होती है मजबूत इरादों की। कोई मौसम बहुत कठोर होता है तो कोई बहुत नाजुक। किसी मौसम में हमें खुद पर जरूरत से ज्यादा ध्यान देना होता है तो कुछ मौसम में यह भी होता है कि हम उसी रौ में बहे जाते हैं और हमें सबकुछ अच्छा-अच्छा लगता है। असल में प्रकृति का ही यह संदेश होता है कि हमें किसी भी चीज की अति नहीं करनी चाहिए।
जैसे कि-
अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।
इस वक्त भयानक शीत लहर है। इससे बचने के लिए हमें बड़ों की सलाह लेनी चाहिए। स्कूल बंद किए गए थे तो जाहिर है मौसम की नजाकत को प्रशासन ने भी समझा। बुजुर्गों और बच्चों को विशेषतौर पर अपना ख्याल रखना चाहिए। इसके बाद वसंत का मौसम आएगा। वसंत में प्रकृति के अनेक रंग हमारे मन में उमंग भर देगी। किसी कवि ने ठीक ही लिखा है-
सतरंगी परिधान पहनकर नंदित हुई धरा है
किसके अभिनंदन में आज आंगन हरा-भरा है।
तो आइए प्रकृति के नजारों के साथ खुद को जोड़ते हुए हम आनंदित होवें और स्वागत करें वसंत का इस उम्मीद के साथ बदलती ऋतु सबके लिए कुछ नया संदेश और नया जोश लाएगी। मौसमी चक्र की बड़ा संदेश देती इस छोटी सी बात के साथ आज से अपना ब्लॉग शुरू किया है। आपको कैसा लगा, अपने कमेंट जरूर करें। जल्दी ही इस पर अपनी रचनाएं पोस्ट करूंगी।
achhi prastuti
भावना क्या खूब लिखा है बस ऐसे ही लिखते रहो आनंद आ रहा है पढ़ने में बधाई
bhut khub....... sabki chutti krni hai kya
??????????
choti behen ko likhte dekh khushi hui.........
Grt dear loving sister, magic magic magic, i can't believe......... :)
@Mukul Sir, shukriya sir
@Shubhi, sirf likhne ki koshish kri aur tumse bhi bht khuch sikha hai
@Pradeep and chandra, thanx bhaiya
good yaar
@target: thanx dear