रिश्ते....



मैंने चाहा सुलझाना,
 अनसुलझे प्रश्नों को I
कौंध रहा अंतर में मेरे,
 दुत वेग से रह-रह कर जो I I
क्यों होते हैं यह रिश्ते,
 हम क्यों सहते इन रिश्तों को I
जिसे ना चाहा सहना पल भर;
 सहते उसको जीवन भर क्यों I I
अगर कहीं यह ही दुनिया है,
 तो फ़िर ऐसी दुनिया क्यों I
क्यों हलते अपने ही सबको;
 बिखरे सब पल-पल में क्यों I I
जब भी चाहें हँस ले दो पल;
 उस पल में ही रोये क्यों I
अगर कहीं यह ही होता है;
 तो फ़िर ऐसा होता क्यों I I
क्यों फैला है स्वार्थ हर तरफ;
 उभरी है एक दुरी क्यों I
सिमटे क्यों खुद में हर कोई;
 हर कोई इतना तन्हा क्यों I I
अगर कहो यह परिवर्तन है;
 तो फ़िर यह परिवर्तन क्यों ??????????

-भावना (its all about feelings)

7 Responses so far.

  1. Anonymous says:

    Bhot dard hai Tumhari In lines me aur bhot sare question b hai jinka answer dena bhot muskil hai..... But Really Nice one Bhawna..
    .
    (N!K)

  2. target says:

    mujhe jaha tak lagta hai risto ka naam hi hai dad jo aapne byaan kiya hai in lines me ........

  3. Bhawna : tumhare ish Chote dimag me Sagar ki gharai ko kaise naap deti hai..
    Really awesome lines of life

  4. Unknown says:

    this one is very nice

  5. बहुत ही खूबसूरत रचना ...बधाई हो...

  6. aap sbhi ka shukriya ke meri rachna ko sraha...

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