ज़िन्दगी Rocxxx...........

रोज़ लगातार लिखते - लिखते शायद एक उलझन में पड़ गयी थी....ऐसा लगा मानो सब कुछ सिमट कर रह गया हो चंद लफ़्ज़ों में, सारे विचार सब कुछ यूँही दिल के किसी कोने से एहसास बनकर उभरे और शब्दों के रूप में सबके सामने आ गये....कभी-कभी एक अनजाना सा डर भी बना रहता के कहीं हर जख्म दुनिया के सामने ना उभर आये, क्यूँकी दुनिया साथ देगी या नहीं ये एक अनसुलझा सवाल है मगर कहीं ऐसा ना हो के सबकुछ बिखर जाये...हम जब भी कुछ लिखते तो हमारे एहसास शब्द बनकर उभरते हैं और जब हम कुछ कहतें हैं तो वो सिर्फ उलझनों से दूर रहने के लिए ये एक बहाना होता है...
कुछ दिन पहले यूँही मेरे दोस्त ने मुझसे पूछ लिया के तुमने कोई अच्छा काम कब करा, तो मैंने कहा एक महीने पहले मैंने एक बच्चे को कपड़े दिए थे तो वो धीरे से मुस्कुरा दिया...शायद उसे इसी जवाब कि तलाश थी या फ़िर नहीं भी...ख़ैर जो भी हो मैंने उसे तो जवाब दे दिया पर ख़ुद  एक सवाल के घेरे  में आ गयी और दिल पूछ बैठा आजतक कितनी बार मैंने कोई ऐसा अच्छा काम किया है जो लोगों कि नज़र में भी अच्छा हो! तो जवाब मिला अच्छा तो बहुत बार करा मगर शायद ऐसा कुछ नहीं जो दुनिया कहे कि वाह क्या बात है...
बहुत सी उमीदें करते हैं लोग..ये अच्छा काम, वो अच्छा काम...और सबके अच्छे काम कि अपनी सोच..मेरे लिए मेरी ईजा (मम्मी) रोज़ अच्छा काम करती है क्यूँकी खुद कि तकलीफ़ भूलकर वो हमारी तकलीफ़ें मिटाती है...पर जब ये बात मैंने अपने दोस्त से बोली तो उनका कहना था ये उनका फ़र्ज़ है....मैंने सोचा क्या खूब है जो हमारे लिए कुछ नहीं करता उसके लिए ना फ़र्ज़ मायने रखता है ना कुछ और पर जो हमारे लिए खुद के सुख भुला दे, उसके लिए हम बड़ी आसानी से कह देते हैं ये तो उसका फ़र्ज़ है जबकि कोई भी फ़र्ज़ तबतक फ़र्ज़ नहीं होता जबतक उसे निभाया ना जाये....
अच्छा काम वो नहीं जो दुनिया कि नज़र में अच्छा हो, अच्छा काम वो जो दिल को सुकून दे....दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जो खुद के दुःख भुला कर दूसरों को ख़ुशी देते हैं मगर ना तो उन्हें मीडिया में नाम मिलता है ना ही लोगों से तारीफ़, कितने ऐसे लोग हैं जिन्हें  हम जानते  तक  नहीं पर समाज  के लिए उन्होंने  बहुत कुछ करा है...कहना आसान है के मैंने ये करा है, मैंने वो करा है.....पर निभाना बहुत मुश्किल 

"खुद के गमों से फुर्सत नहीं...
दुनिया के ग़मों को क्या समझूँ !
मिले जो खुद के पिंजड़े से आज़ादी...
पंछी  बनकर उड़  jaun..."
कोई भी किसी कि मदद कि मोहताज का नहीं...सब अपनी-अपनी उलझनों में उलझे रहते हैं, किसी को सुध नहीं के सामने वाले पर क्या बीत रही है...बस कुछ बातें अनकही सी जो आँखों से होते हुए  दिल में उतर जाती हैं, लकड़ियों के ढेर के ऊपर बैठी बच्ची अपनी प्यारी मुस्कान के साथ अपनी कहानी बयाँ करती है... ज़िन्दगी बहुत कुछ देती है और कभी-कभी बहुत कुछ ले भी लेती है, जब हमें लगता है के ज़िन्दगी थम सी गयी...पर ज़िन्दगी ना ही किसी के लिए थमती है, ना ही रूकती है; किसी के लिए भी नहीं  ...
अच्छाई  को  एक  तराजू  में  तोलना  बंद  कर  दीजिये  और  अपने  दिल  के  तराजू  पर  ज़िन्दगी  को  रखिये, क्या आपको कभी ये एहसास हुआ के आपने कुछ अच्छा करा है..! समाज में कितने ही ऐसे लोग हैं जो जिन्हें हमारी मदद कि, हमारे प्यार कि जरूरत है ...वो कोई भी हो सकता है आपके दादा-दादी, पापा-मम्मी, भाई-बहन, दोस्त या फ़िर सड़क किनारे अकेले बैठकर बिलखता अनाथ बच्चा;क्या हमने कभी उनपर गौर करा है? बस एक सपाट सा ख्याल हमें क्या करना....और हम चल देतें हैं अपनी मंजिल कि तरफ....
ये खुद में हमारे लिए बहुत बड़ा सवाल है , जिसका जवाब हमें तलाशना है..... हर  वो  काम  जो  आपने  किसी  कि  ख़ुशी  के  लिए  किया  हो  या  किसी  काम  को  करके  आपको  सुकून  मिला  हो ...वही  अच्छा  काम  है...अगर सिर्फ नाम कमाने के लिए अच्छा काम करना चाहते हैं तो ज़िन्दगी कभी ना कभी ज़रूर मौक़ा देगी पर अगर दिल के तराजू से तौल कर फैसला लेंगे तो आपको वो ख़ुशी हासिल होगी जो खुदा को पाने के बराबर होगी...पर फैसला आपका है, आपको सिर्फ नाम चाहिए या सुकून....वो सुकून जो अकेले में बैठकर आपको मुस्कुराने का मकसद दे....
ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत है, अगर आप उसके रंगों  को  किसी और कि ज़िन्दगी में भी बिखेर सकें ...
Because ज़िन्दगी alwaz  ROCXXX....

9 Responses so far.

  1. Chandan says:

    Bole to progress h... lekin jindagi main kuchh batein haqikat main sabhi ko chhokar jaati hain aur unhe in baton ka ehsassh bhi hota h... phir bhi apni uljhano m unhe kisi k dard k ehsaash nahi hota...
    thoda common word use mat karke apni style ho :)

  2. target says:

    padha samajhne ki koshish bhi ki maine,kaafi had tak in shabdo ke ahsas ko , bs ab yahi kosis hai samjh saku tumhari bhawnao ko to behtar hoga.........kaafi pasand aaya

  3. सच कहा आपने सुकून के लिए जिंदगी को दिल के तराजू पर रख कर तोलना चाहिए....अच्छी प्रस्तुति....

  4. @chandra: aapki baat dhyan rkhungi..

  5. @zindagi: shukriya ashish, bhut din baad tumhara bhumulya comment mila..

  6. Anonymous says:

    खुद के गमों से फुर्सत नहीं...
    दुनिया के ग़मों को क्या समझूँ !
    मिले जो खुद के पिंजड़े से आज़ादी...
    पंछी बनकर उड़ jaun..."
    .....

    Tmne in lines me zindagi ki sari bate kah di hai....really nice
    .
    .
    (N!k)

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