यातायात व्यवस्था; पुलिस जनता और नियम.....

पिछले दो सालों में लखनऊ कि सडको पर लगभग 52.21% ट्रैफिक लोड बढ़ गया है अगर यही हाल रहा तो ट्रैफिक समस्याएं चार गुनी बढ़ जाएंगी जिसका समाधान खोजना मुश्किल होगा I यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए जितने भी प्रयास किये जा रहे हैं उनका कोई ख़ास असर नज़र नहीं आ रहा  जिसका कारण पुलिस का ड़ील-डॉल रव्यिया और नागरिको का अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करना है  Iएक अध्यन कि माने तो शेहर में ६०० ट्रैफिक इंस्पेक्टर कि ज़रूरत है पर असल में यह सिर्फ़ २८१ है, लोग अपने अधिकारों कि बात तो करते हैं पर अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं I  प्रशासन के अनुसार ये नागरिकों कि मूल कर्तव्यों के प्रति लापरवाही का नतीजा है जिसकी वजह से रोज़ जाम और यातायात में कई तरह कि परेशानी से दो-चार होना पड़ता है  I उनका कहना है कि नागरिक नियम और क़ानून का पालन करना अपना अपमान समझते हैं I
जहाँ एक तरफ सडकों पर बसों कि संख्या कम होती जा रही  है वहीं दूसरी तरफ कारों और ऑटोरिक्शा में इजाफा  हो रहा है I अगर चौराहे पर मौजूद ट्रैफिक पुलिस कि माने तो इस समस्या के लिए नागरिक भी ज़िम्मेदार हैं I नागरिकों से उम्मीद कि जाती है के बढ़ते शैक्षिक स्तर के साथ-साथ उनका मानसिक स्तर भी बढ़ेगा मगर वक़्त के साथ ये स्तर सिर्फ फैशन तक ही सीमित रह गया है, पहले जहाँ कुछ लोग यातायात नियम का पालन करते थे वहीं आज बिना डर के कोई भी नियम मानने के लिए तैयार नहीं होता I सबसे बड़ी समस्या बड़े रुतबे वाले लोगों के साथ पेश आती है जो अपने रुतबे कि आढ़ में नियमों के साथ खिलवाड़ करते हैं और जब आज कि युवा पीढ़ी उन्हें नियम तोड़ते हुए देखती है तो वे भी उनका अनुसरण करने लगते हैं I लोगों कि सुविधा के लिए हर जगह जेब्रा-क्रोसिंग और फ्लाईओवर बनाया जाता है पर लोग इसका इस्तेमाल करने के बजाये चौराहे से ही सड़क पार करते नज़र आते हैं I  
अगर इस समस्या के बारे में किसी से भी बात कि जाये तो लोग एक-दुसरे के सर पर ठीकरा फोड़ते नजर आते है I बस जस का तस एक ढर्रे पर ज़िन्दगी चलती रहती है, उसके उपर ऑटो वालों कि मनमानी I चाहे कितने क़ानून बन जाये पर हम नहीं मानेंगे I ये हमारा जन्म-सिद्ध अधिकार है I 
एक तरफ जहाँ प्रशासन को आम नागरिकों से शिकायत है वहीं दूसरी तरफ नागरिकों में भी प्रशासन को लेकर कम रोष नहीं I उनका कहना है के पुलिस कि सारी कार्यवाही बस यातायात माह के आने तक ही सिमित है और इस एक महीने में पुलिस हर तरह कि सख्ती दिखाती है और थोड़े वक़्त बाद सब भूल जाती है I चारबाग के मुख्य चौराहे पर फ़िर भी ट्रैफिक कि समस्या अपेक्षाकृत कम होती है मगर लाटूश रोड से कैसरबाग चौराहे तक सडकों के सकरा होने के कारण और सडकों पर अतिक्रमण होना है I कई बार दुकानों के सामने बड़ी-बड़ी गाड़ियाँ आकर खड़ी हो जाती हैं जिसकी वजह से जाम जैसी समस्या उत्पन्न होती है और जनता को असुविधा का सामना करना पड़ता है I कई बार चौराहे पर कोई भी ट्रैफिक पुलिस नज़र नहीं आती और लोग अपनी मनमानी करते नज़र आते हैं जिसकी वजह से कई बार लोगों को हादसों का शिकार होना पड़ता है I
जाम कि वजह से दुकानदारों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जिसके लिए वे प्रशासन और वहां से गुज़रने वाले लोगों को दोष देते हैं I उनका कहना है के प्रशासन और नागरिकों को एकसाथ मिलकर पहल करनी होगी, एक-दुसरे पर दोषारोपण करने से कोई हल नहीं निकलेगा I इस समस्या को लेकर सभी के अपने मत और रोष हैं, उसका एक कारण भी Iयही हाल लखनऊ कि जान हजरतगंज का भी है, जहाँ जाम कि समस्या से अक्सर आने जाने वाले लोग परेशान रहते हैं I एक तरह से देखा जाये तो पुरे लखनऊ में ट्रैफिक का हाल बेहाल है......कहने को तो हर गुज़रने वाला दुसरे को दोष देता है और प्रशासन भी अपनी हर बात एक मत के साथ रखता है I लेकिन समझने वाली बात यही है के अगर हमें इस समस्या से निपटना है तो एक दुसरे पर दोषारोपण ना करते हुए मिलकर काम करना होगा और एक-दुसरे का खुलकर सहयोग करना होगा तभी इस समस्या का सार्थक समाधान सामने आयेगा; वरना यूँही वक़्त के साथ-साथ हर कानून, हर कवायद ठंडे बसते में चली जाएगी I    



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6 Responses so far.

  1. Anonymous says:

    Well said Bhawna very well said......khas kr ye line.."Auto walo ki manmani".
    .
    (N!K)

  2. GR8 Bhawana.....direct attack on system and society

  3. Anonymous says:

    bahut acha tha keep going well said...........

  4. Anonymous says:

    cool gud to see tat u r so concerned abt d failure of system in society..saad

  5. @anshu, anonymous, saad: shukriya

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