बैठे हो क्यों ख्वाब बन कर
खामोश ही सही, रहो आस-पास बनकर !
बिखर जाओ भले, रह जाओ अहसास बनकर!
दूर जाने से किसे कौन रोके, ठहर जाओ बस कुछ याद बनकर !
रिश्तों की कुछ लकीर सी उलझी,
उभर पड़ी तो बस एक सवाल बन कर !
रोका हाथों से बहुत हमने,
बह ही जाते जज्बात बनकर!
सुनी सी जब भी पड़ती गालियाँ,
गुजर सी जाती कोई आवाज बन कर !
गुम से हो बोझिल नींदों में ,
बैठे हो क्यों ख्वाब बन कर ?
-भावना (its all about feelings)
खामोश ही सही, रहो आस-पास बनकर !
बिखर जाओ भले, रह जाओ अहसास बनकर!
सच है भावना सारा खेल तो भावनाओं का ही है न हा हा
अच्छा लिखा भावनाएं जगी
शुभकामनायें
@Dr. Mukul Srivastava: hehehe.. sir likhne ke liye to hmesha hi bhawnaen bhri rehti hain :) thank u sir ji
beautyful linesh
khwab ban kar hi chale ao to kuchh raat kate jhulfu sabnam si lahrao to kuchh rat kate ho rat kate