वैलेंटाइन स्पेशल
तेरे करीब रहूं या दूर जाऊं मैं,
है दिल का एक ही आलम तुझी को चाहूं मैं
मैं जानती हूं कि वो रखता है चाहते कितनी,
मगर ये बात कैसे तुझे बताऊं मैं
जो चुप रही तो वो समझेगा बदगुमान मुझे,
बुरा सही कुछ तो बोल आऊ मैं
इसके बाद तालुक में फासले होंगे,
सम्भाल के रखना कहीं बिखर न जाऊं मैं
मोहब्बतों की परख का यही तो रास्ता है,
तेरी तलाश में निकलू पर तुझे न पाऊं मैं
-भावना (it’s all about feeling)
कुछ कल्पित भावो का कैसा ये साथ ?
कदम ना रोको जिन्दगी की …
हरपल है एक नयी शुरूआत !
एक खास , कोई पास , एक अजनबी अहसास ..
उम्दा .....................
@sujit kumar: kbhi kbhi aisa b ho jata h
@aditya shukla: shukriya sir..